कर्नाटक विधानसभा में रखे गए ताजा आंकड़ों ने यह साफ कर दिया है कि डिजिटल अपराध किस तेजी से बढ़ रहे हैं और राज्य के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं. गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में ऑनलाइन ठगी ने लोगों की जेब से हजारों करोड़ रुपये निकाल लिए और इनमें से बहुत कम मामलों का समाधान हो पाया.
2023 से 2025 के दौरान साइबर अपराधों की संख्या लगातार ऊपर चढ़ती रही. 2023 में 22,255 मामले, 2024 में मामलों की संख्या करीब 22 हजार 255 रही, जबकि 2025 में अभी तक यह आंकड़ा 13 हज़ार पार कर चुका है. यह स्पष्ट है कि डिजिटल अपराधी हर नए साल के साथ और अधिक सक्रिय होते जा रहे हैं.
निपटारे की धीमी गति, चिंता का सबसे बड़ा कारण
मामले जितने तेजी से बढ़ रहे हैं, उनका समाधान उतनी ही धीमी गति से हो पा रहा है. 2023 में जहां 6,159 मामलों का निपटारा हुआ, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर 3,549 रह गई. 2025 में स्थिति और खराब हो गई और 1,009 मामलों को सुलझाया जा सका. यह गिरावट बताती है कि पुलिस बल को नई तकनीक, प्रशिक्षण और संसाधनों की बेहद जरूरत है.
तीन साल में हजारों करोड़ की ठगी
ऑनलाइन फ्रॉड ने लोगों के बैंक खातों, वॉलेट और डिजिटल ऐप्स से 3 सालों में 5,474 करोड़ रुपये से ज़्यादा उड़ा दिए. 2023 में करीब 873 करोड़ की ठगी हुई, जबकि 2024 में यह रकम ढाई हज़ार करोड़ के पार पहुंच गई. 2025 के अभी तक के आंकड़ों में भी दो हज़ार करोड़ रुपये से अधिक की रकम साइबर ठगों के हाथ लग चुकी है. यह दिखाता है कि अपराधी तकनीकी रूप से पहले से कहीं ज़्यादा सक्षम और संगठित होते जा रहे हैं.
साइबर अपराध क्यों नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं?
सरकार के मुताबिक, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की तेजी से बढ़ती संख्या और डिजिटल साक्षरता की कमी सबसे बड़ी वजहों में शामिल हैं. इसके साथ ही ऑनलाइन पेमेंट का विस्तार, फर्जी ऐप और नकली लिंक, एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म, VPN और डार्क वेब जैसे साधन अपराधियों को सुरक्षा देते हैं. दूसरी ओर पुलिस की तकनीकी क्षमताओं में कमी और न्यायिक प्रक्रिया की धीमी गति से अपराधियों का हौसला और बढ़ जाता है. हाईन्यूज़ !















