दिल्ली ब्लास्ट ने देशभर को हिलाकर रख दिया है. राजधानी में हुए कार विस्फोट के कारण सुरक्षा एजेंसियां ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही हैं. इस मामले की जांच NIA के हाथों में है. 5 दिनों की जांच के बाद खुफिया एजेंसियों के हाथ बड़े सुराग लगे हैं. अब तक की जानकारी के मुताबिक फरीदाबाद-सहारनपुर फिदायीन मॉड्यूल को भारत में डॉक्टर अदील अहमद का भाई डॉक्टर मुज़फ़्फ़र अहमद राथर लीड कर रहा था, जो कि सूत्रों के मुताबिक इस समय अफ़ग़ानिस्तान में कहीं छिपा है.
एबीपी को मुज़फ़्फ़र अहमद राथर के पासपोर्ट की एक्सक्लूसिव कॉपी मिली है. सूत्रों के मुताबिक़ इसी साल 22 अगस्त को मुज़फ़्फ़र अहमद राथर जैश ए मोहम्मद के फ़िदायीन स्क्वाड के प्रमुख कमांडर और मसूद अजहर के भाई अम्मार अल्वी ने कहने पर अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती बम के निर्माण की ट्रेनिंग के लिए दुबई के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान गया था.
कहां हो सकता है मुज़फ़्फ़र अहमद राथर
सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान के काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उतरने के बाद राथर हेमलैंड प्रांत के संगाईं इलाके या फिर कुनार प्रांत में गया होगा. वहां पर जैश ए मोहम्मद और अल-कायदा का एक छोटा सा साझा ठिकाना है और आतंकियों को अमोनियम नाइट्रेट से फिदायीन विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है. अब तक हुई जांच में डॉक्टर मुजम्मिल और डॉक्टर अदील के फोन से कई सुराग मिले हैं, जिसमें 3 हज़ार से ज़्यादा वीडियो हैं और 42 ऐसी वीडियो हैं जिसमें फिदायिन बम बनाने के तरीके हैं.
डॉक्टर अदील, डॉक्टर मुज़म्मिल और मौलवी इरफान अहमद से पूछताछ के बाद अब तक 3 पाकिस्तानी हैंडलरों का नाम सामने आ चुका है, जिसमें अबू उकासा, निसार और हंजुल्लाह शामिल हैं. ये तीनों पाकिस्तानी हैंडलर अलग-अलग देशों की सिम कार्ड से इस फिदायीन नेटवर्क से बात करते थे. साथ ही फिदायीन बम बनाने के तरीके वाली वीडियो अदील और मुजम्मिल को हंजुल्लाह ने भेजी थी.
पाकिस्तानी हैंडलरों का नाम आया सामने
सूत्रों के मुताबिक जहां अबू उकासा तुर्की के वर्चुअल नंबर से इन आरोपियों से सेशन ऐप पर बात करता था तो निसार और हंजुल्लाह UAE की +971 की सिम से टेलीग्राम पर बात करते थे और वही पर इन्हें फिदायीन बम बनाने की वीडियो भेजते थे. सूत्रों के मुताबिक अबू उकासा, निसार और हंजुल्लाह इन हैंडलरों के छद्म नाम है और असली नाम अभी तक पता नहीं चल पाया है.
इस पूरे ग्रुप का हिंदुस्तान में सरगना था राथर
अब तक की जांच में साफ हो चुका है कि अदील का भाई डॉक्टर मुज़फ़्फ़र अहमद राथर इस पूरे ग्रुप का हिंदुस्तान में सरगना था. साथ ही 1 मार्च 2022 से 18 मार्च 2022 तक जब अदील और मुजम्मिल तुर्की जैश के हैंडलर अबू उकासा से मिलने गए थे. तब डॉक्टर मुजफ्फर अहमद राथर भी तुर्की गया था. ऐसे में इस जैश ए मोहम्मद के इस सहारनपुर-फरीदाबाद मोड्यूल में कई गुत्थियां है जिसे भी एजेंसियां मिलकर सुलझाने की कोशिश में लगी हैं.
इसके अलावा मुजफ्फर अहमद राथर के फेसबुक अकाउंट की जांच में सामने आया है कि वो फेसबुक पर भी हिजबुल मुजाहिदीन और जैश ए मोहम्मद के कई हैंडलरों के साथ संपर्क में था. जानकारी के मुताबिक भारतीय एजेंसियां जल्द ही डॉक्टर अदील के भाई और ग्रुप के कथित सरगना डॉक्टर मुज़फ़्फ़र के ख़िलाफ़ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भी निकलवा सकती हैं. हाईन्यूज़ !















