Himanta Biswa Sarma on Tejaswi Yadav:HN/ असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं. जहां सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार (31 अगस्त) को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव की नमाज पढ़ने के नियम संबंधी टिप्पणी की आलोचना की. साथ ही उन्हें उपदेश देने से पहले अभ्यास करने की सलाह दी.
असम के सीएम और झारखंड चुनाव के लिए बीजेपी के सह-प्रभारी हिमंत बिस्व सरमा यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व नेता लोबिन हेम्ब्रम के बीजेपी में शामिल होने के मौके पर पार्टी मुख्यालय में मीडियाकर्मियों को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान सरमा ने कहा, “तेजस्वी यादव मेरी आलोचना कर रहे हैं, लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं क्या बिहार में ऐसी कोई प्रथा है? तेजस्वी यादव को बिहार के उपमुख्यमंत्री रहते हुए 4 घंटे का ब्रेक लागू करना चाहिए था.” सीएम हिमंत ने कहा कि उपदेश देने से पहले खुद इसे करके दिखाते.
जानिए क्या है पूरा मामला?
दरअसल, असम विधानसभा में दो घंटे का जुमा ब्रेक रद्द किए जाने के बाद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने शुक्रवार (30 अगस्त) को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर “सस्ती लोकप्रियता” पाने का आरोप लगाया था. क्योंकि, सीएम सरमा ने कहा, “मैं दो घंटे के जुमा ब्रेक को फिर से लागू करूंगा, अगर मुझे सलाह देने वाले लोग अपने-अपने राज्यों में चार घंटे के ब्रेक को लागू कर दें.”
2 घंटे की जुमा छुट्टी खत्म करना CM का नहीं, बल्कि मुस्लिम MLA,s का फैसला
हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि असम विधानसभा को छोड़कर, लोकसभा या राज्यसभा सहित कहीं भी 1937 से ब्रिटिश विरासत की ऐसी प्रथा का प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा, “दो घंटे की जुमा छुट्टी खत्म करना मुख्यमंत्री का फैसला नहीं है, बल्कि यह सभी हिंदू और मुस्लिम विधायकों का फैसला है. शुक्रवार (30 अगस्त) को जब विधानसभा अध्यक्ष ने इसकी घोषणा की तो सदन में किसी मुस्लिम विधायक ने कोई विरोध नहीं जताया.” वहीं, असम विधानसभा में कुल 126 विधायकों में से 25 मुस्लिम विधायक हैं.
इस फैसले की आलोचना केवल असम के बाहर हो रही- CM हिमंत
इस दौरान सीएम हिमंत ने बताया कि विधानसभा की प्रक्रिया नियमों में इस प्रावधान को समाप्त करने का प्रस्ताव अध्यक्ष के नेतृत्व वाली नियम समिति के समक्ष रखा गया, जिसने सर्वसम्मति से इस प्रथा को समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की. सीएम सरमा ने कहा कि इस फैसले की आलोचना केवल असम के बाहर हो रही है, जबकि राज्य के विधायकों ने देश के विकास के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है. हाईन्यूज़ !