तृणमूल कांग्रेस (TMC) से निलंबित विधायक और जनता उन्नयन पार्टी (JUP) के संस्थापक हुमायूं कबीर के एक फैसले से उन पर भेदभाव के आरोप लग रहे हैं. दरअसल उन्होंने मंगलवार (23 दिसंबर) को बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर दक्षिण कोलकाता के बालीगंज से घोषित उम्मीदवार निशा चटर्जी को हटा दिया है.
हुमायूं कबीर का तर्क है कि निशा चटर्जी की सोशल मीडिया पर मौजूद तस्वीरें और वीडियो उनकी पार्टी की छवि के मुताबिक नहीं हैं और इससे जनता के बीच गलत संदेश जा सकता है. बता दें कि इसी महीने की शुरुआत में मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनाने के फैसले के कारण हुमायूं कबीर को TMC से सस्पेंड कर दिया गया है. इसके बाद उन्होंने सोमवार को जनता उन्नयन पार्टी (JUP) का गठन किया और 8 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम भी घोषित किए.
हुमायूं कबीर ने अपनी सफाई में क्या कहा
निशा चटर्जी का नाम वापस लिए जाने को लेकर हुमायूं ने कहा कि मैंने निशा की कुछ तस्वीरें और सोशल मीडिया रील्स देखी हैं. उन्हें देखकर मुझे लगा कि वह हमारी पार्टी की उम्मीदवार नहीं होनी चाहिए. इससे लोगों के बीच गलत संदेश जाएगा. साथ ही कबीर ने ये भी संकेत दिया कि बालीगंज सीट के लिए नई महिला उम्मीदवार की घोषणा जल्द की जाएगी और वो मुस्लिम समुदाय से हो सकती है.
निशा चटर्जी के गंभीर आरोप
निशा चटर्जी ने इस फैसले को लेकर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ इसलिए हटाया गया, क्योंकि वह हिंदू हैं. उन्होंने कहा कि अचानक मेरे वीडियो को लेकर बातें बनाई जा रही हैं. हुमायूं काकू ने खुद मुझसे चुनाव लड़ने को कहा था, तभी मैं उम्मीदवार बनी. अब सवाल उठाए जा रहे हैं. मुझे इसलिए हटाया गया क्योंकि मैं हिंदू हूं. अगर उनकी पार्टी वास्तव में धर्मनिरपेक्ष होती, तो क्या ऐसा होता?
निशा चटर्जी ने कहा कि वो शुरू से ही हुमायूं कबीर की बाबरी मस्जिद योजना के समर्थन में थीx. फिर भी ऐसा व्यवहार हुआ. इस घटना से मुझे सामाजिक तौर पर शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है. मैं इस मामले में कानूनी कार्रवाई पर भी विचार कर रही हूं. बता दें कि हुमायूं कबीर भरतपुर से विधायक हैं. उनको 4 दिसंबर को टीएमसी ने निलंबित कर ने दिया था. ये कार्रवाई मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की तर्ज पर मस्जिद बनाने की उनकी घोषणा के बाद हुई. हाईन्यूज़ !















