Risk of insomnia:HN/ आज की डिजिटल लाइफस्टाइल में हममें से ज्यादातर लोग सोने से ठीक पहले तक मोबाइल स्क्रीन पर व्यस्त रहते हैं, लेकिन इसका असर हमारे शरीर और दिमाग पर जितना होता है, उतना हम सोच भी नहीं पाते. अगर आप भी सोने से कुछ समय पहले मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे नींद की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ सकता है. यह धीरे-धीरे अनिद्रा जैसी गंभीर नींद संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है.
क्यों सोने से पहले मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना है गलत?
ब्लू लाइट का असर
मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट हमारे दिमाग में मेलाटोनिन नामक नींद लाने वाले हार्मोन के उत्पादन को रोक देती है. इसका मतलब है कि हमारा दिमाग नींद का समय पहचान नहीं पाता.
बढ़ती है दिमाग की एक्टिविटी
सोने से पहले जब आप सोशल मीडिया, वीडियो या चैट में व्यस्त होते हैं, तो दिमाग रिलैक्स होने की बजाय और ज्यादा एक्टिव हो जाता है, जिससे सोने में देरी होती है.
नींद की गुणवत्ता पर असर
देर से सोना और नींद में बार-बार जागना, दोनों ही मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से जुड़े हैं.
तनाव और चिंता को देता है बढ़ावा
सोने से पहले न्यूज, सोशल मीडिया या काम से जुड़ी चीजें देखने तनाव, चिंता बढ़ती है. इससे नींद खराब हो सकती है.
सोने से पहले मोबाइल देखने की आदत अगर आपके रोजमर्रा का हिस्सा बन जाती है, तो इससे धीरे-धीरे आपकी नींद की टाइमिंग गड़बड़ हो जाती है. कुछ लोगों को तो नींद आने में घंटे लगते हैं या रात भर नींद नहीं आती है. इस स्थिकि को ही इनसोम्निया कहते हैं.
क्या हैं इनसोम्निया के लक्षण?
- रात में बार-बार जागना
- नींद पूरी न होना
- सुबह थकान महसूस होना
- चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी, इत्यादि.
नींद की गुणवत्ता में सुधार के लिए क्या करें?
सोने से कम से कम 30-60 मिनट पहले मोबाइल बंद कर दें. अगर आप मोबाइल देखना चाहते हैं, तो ब्लू लाइट फिल्टर या नाइट मो़ड का इस्तेमाल करें. अपने बेडरूम को No-Screen Zone बनाएं. अगर आपको नींद नहीं आ रही है, तो इस स्थिति में सोने से पहले किताब पढ़ें, मेडिटेशन करें या रिलैक्सिंग म्यूजिक सुनें. हाईन्यूज़ !