आरक्षण पर हुए सब राजी, लेकिन बीजेपी-कांग्रेस से लेकर क्षेत्रीय पार्टियों में महिलाएं कितना पावरफुल हुई, पूरी रिपोर्ट

असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM को छोड़कर लोकसभा और राज्यसभा में सभी पार्टियों ने महिला आरक्षण बिल का खुलकर समर्थन किया है. इस कानून के अमल में आने के बाद लोकसभा और विधानसभाओं की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी जाएंगी, लेकिन बड़ा सवाल उनके हक और अधिकार मिलने का है.

चुनावी साल में राजनीतिक पार्टियां भले ही बढ़-चढ़कर महिलाओं को हक देने की बात कर रही हों, लेकिन देश के अधिकांश राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के अंदर फैसला लेने में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग न के बराबर है. इन दलों के शीर्ष इकाई में महिलाओं को सिर्फ सांकेतिक भागीदारी दी गई है.

इस फेहरिस्त में बीजेपी से लेकर आम आदमी पार्टी और आरजेडी से लेकर बहुजन समाज पार्टी तक शामिल हैं. कांग्रेस के शीर्ष समिति में जरूर 5 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं, लेकिन वहां भी सिर्फ एक परिवार के करीबियों का दबदबा है.

इस स्टोरी में देश के राजनीतिक दलों के महिलाओं की हिस्सेदारी के बारे में विस्तार से जानते हैं…

 

बात पहले सत्ताधारी दल बीजेपी की
भारतीय जनता पार्टी में बड़े फैसले लेने का काम संसदीय बोर्ड करता है. संसदीय बोर्ड पर ही टिकट वितरण से लेकर मुख्यमंत्री चयन तक की जिम्मेदारी है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष इस बोर्ड के पदेन अध्यक्ष होते हैं. बीजेपी के संविधान के मुताबिक संसदीय बोर्ड के पास पार्टी की नीति पर फैसला लेने का भी अधिकार है.

पार्टी संविधान में कहा गया है कि संसदीय बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा 10 सदस्य हो सकते हैं. बीजेपी संसदीय बोर्ड का आखिरी बार गठन अगस्त 2022 में हुआ था. बोर्ड में अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीएस येदियुरप्पा, सर्वानंद सोनोवाल, के लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सत्यनारायण जटिया, सुधा यादव और बीएल संतोष शामिल हैं.

संसदीय बोर्ड में शामिल एकमात्र महिला सुधा यादव पूर्व सांसद हैं. इस समिति में सुधा की एंट्री ने हरियाणा के नेताओं को चौंका दिया था क्योंकि सुधा 2004 और 2009 चुनाव बड़े अंतर से हार चुकी हैं.

संसदीय बोर्ड के बाद बीजेपी में केंद्रीय चुनाव समिति सबसे ताकतवर इकाई है. इसमें कुल 15 सदस्य हैं, लेकिन इसमें सिर्फ 2 महिलाओं को जगह मिली है.

आम आदमी पार्टी का हाल भी बुरा
हाल ही में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने वाली आम आदमी पार्टी संगठन के फैसले लेने में भी महिलाओं की हिस्सेदारी सांकेतिक है. आप के संविधान के मुताबिक पार्टी के सभी बड़े फैसले लेने का अधिकार राजनीतिक मामलों की समिति के पास है. पार्टी संयोजक इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं.

आप की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक वर्तमान में राजनीतिक मामलों की समिति में 9 सदस्य और 2 पदेन सदस्य हैं. 11 सदस्यों वाली इस कमेटी में सिर्फ 2 महिला आतिशी और राखी बिड़लान हैं.

पार्टी संगठन की दूसरी सबसे ताकतवर इकाई राष्ट्रीय कार्यकारिणी है, जिसमें कुल 33 सदस्य हैं. इस कमेटी में 7 महिलाओं को भी जगह दी गई है, जो करीब 20 प्रतिशत के आसपास है. आम आदमी पार्टी के संगठन के शीर्ष पदों पर भी पुरुषों का ही दबदबा है.

राष्ट्रीय संयोजक खुद अरविंद केजरीवाल हैं, जबकि राष्ट्रीय सचिव पद पर पंकज गुप्ता और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पद पर एनडी गुप्ता काबिज हैं. पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष गोपाल राय और पंजाब इकाई के अध्यक्ष भगवंत मान हैं.

कांग्रेस में गांधी परिवार के करीबियों को जगह
सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के संगठन में फैसला लेने का अधिकार गांधी परिवार को ज्यादा है. पार्टी की शीर्ष इकाई कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) में महिलाओं को तरजीह को दी गई है, लेकिन लिस्ट में शामिल अधिकांश महिलाएं गांधी परिवार के करीबी हैं.

हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 36 नेताओं को कांग्रेस कार्यसमिति का स्थाई सदस्य नियुक्त किया है. कांग्रेस कार्यसमिति ही पार्टी के भीतर सभी बड़े फैसले लेने के लिए अधिकृत है. 36 में से सिर्फ 6 महिलाओं को जगह दी गई है.

इनमें गांधी परिवार से सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी का भी नाम शामिल है. साथ ही सोनिया गांधी की करीबी अंबिका सोनी और कुमारी शैलेजा को भी जगह मिली है. सीडब्ल्यूसी के बाद कांग्रेस संगठन में केंद्रीय चुनाव समिति ताकतवर इकाई है.

इस कमेटी में भी 16 सदस्य हैं, जिसमें सिर्फ 3 महिलाओं को जगह मिली है. कांग्रेस संगठन के सबसे पावरफुल पद अध्यक्ष, संगठन महासचिव और कोषाध्यक्ष पद पर पुरुषों का ही कब्जा है.

मायावती की पार्टी में भाई-भतीजे का दबदबा
बहुजन समाज पार्टी की गिनती भी देश की राष्ट्रीय पार्टियों में होती है. पार्टी में अभी सुप्रीमो पद पर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का कब्जा है. हालांकि, राष्ट्रीय संगठन में अब उनके भतीजे आकाश और भाई आनंद कुमार ने अपना दबदबा बना लिया है.

हाल के दिनों में आकाश ने बीएसपी के कई पारंपरिक नियमों को तोड़कर नए नियम स्थापित किए हैं. क्षेत्र में जाकर रोड शो करना, सोशल मीडिया पर नेताओं को जवाब देना इसमें शामिल हैं.

बीएसपी के राष्ट्रीय संगठन में मायावती को छोड़कर कोई भी महिला नेता शीर्ष पद पर नहीं है. पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर आनंद कुमार, राष्ट्रीय महासचिव पद पर सतीश चंद्र मिश्र और कॉर्डिनेटर पद पर आकाश आनंद काबिज हैं.

बीएसपी का सबसे अधिक जनाधार उत्तर प्रदेश में हैं. यहां पर विश्वनाथ पाल प्रदेश अध्यक्ष हैं.

अब क्षेत्रीय पार्टियों पर नजर…
क्षेत्रीय पार्टियों के संगठन में भी महिलाओं की भागीदारी सांकेतिक ही है. बिहार की सत्ताधारी दल जेडीयू ने हाल ही में अपने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 22 महासचिव बनाए हैं, लेकिन उसमें सिर्फ एक महिला कहंकशा परवीन को जगह मिली है.

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी पुरुषों का कब्जा है. पार्टी के इतिहास में अब तक एक भी महिला राष्ट्रीय या प्रदेश अध्यक्ष पद पर नहीं पहुंच पाई है.

आरजेडी का हाल भी जेडीयू की तरह ही है. आरजेडी संगठन के फैसला लेने के मामले में महिलाएं ना के बराबर हैं. पार्टी के 4 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष में सिर्फ एक महिला राबड़ी देवी शामिल हैं. इसी तरह पार्टी के पावरफुल सेंट्रल बोर्ड में भी लालू परिवार की महिलाओं का ही दबदबा है.

रिपोर्ट के मुताबिक आरजेडी सेंट्रल पार्टिलायामेंट्री बोर्ड में लालू प्रसाद यादव, अब्दुलबारी सिद्दीकी, राबड़ी देवी, तेजस्वी प्रसाद यादव, तेजप्रताप यादव, मीसा भारती, प्रेम चंद गुप्ता, जगदानंद सिंह, जयप्रकाश नारायण यादव और भोला यादव शामिल हैं.

यूपी की सियासत में दबदबा रखने वाली समाजवादी पार्टी संगठन के फैसला लेने में भी महिलाएं ना के बराबर हैं. पार्टी के 16 राष्ट्रीय महासचिव में से एक भी महिला नहीं हैं. पार्टी संगठन के 3 बड़े पद पर पुरुषों का ही दबदबा है.

डीएमके, जेएमएम, तृणमूल कांग्रेस जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का हाल भी इसी तरह है. यहां भी महिलाओं की भागीदारी सांकेतिक मात्र है. हाईन्यूज़ !

पहले हाथ मिलाया फिर गले मिले, संसद की सीढ़ियों पर दिखी कंगना रनौत और चिराग पासवान की दोस्ती

एक्ट्रेस और भाजपा सांसद कंगना रनौत हमेशा चर्चा में छाई रहती हैं. फिर चाहे वो विवाद को लेकर हो या अपने किसी बयान को लेकर.

Read More »

पहले की दो शादियां, उसके बाद तीसरी से चलाया चक्कर, जब मिला धोखा तो गर्लफ्रेंड को घोंपा 11 बार चाकू

छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में एक शादीशुदा सनकी आशिक ने अपनी ही गर्लफ्रेंड की दिन दहाड़े चाकू गोदकर हत्या कर दी. उसने सरेराह युवकी को

Read More »

सोनाक्षी सिन्हा-जहीर इकबाल की दो साल पहले ही हो गई थी सगाई? यूजर्स से ढूंढ निकाली एक्ट्रेस की पुरानी तस्वीर

Sonakshi Sinha-Zaheer Iqbal Engagement:HN/ सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल शादी कर चुके हैं. इस कपल ने सात साल के रिलेशनशिप के बाद अपने रिश्ते को आगे

Read More »

Sengol Controversy: सपा सांसद ने सेंगोल को बताया ‘राजशाही’ का प्रतीक, चिराग पासवान ने किया पलटवार, कहा- ‘हर चीज से विपक्ष को दिक्कत क्यों’

Chirag Paswan on Sengol Controversy:HN/ समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी के सेंगोल पर दिए बयान को लेकर हंगामा मचा है. उन्होंने कहा कि सेंगोल राजशाही

Read More »

President Speech: ‘इमरजेंसी थी संविधान पर सबसे बड़ा प्रहार’, बोलीं राष्ट्रपति- लोकतंत्र में तब डाली गई दरार, उस समय मच गया था हाहाकार

President Speech:HN/ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इमरजेंसी (आपातकाल) को भारत के संविधान पर सबसे बड़ा प्रहार बताया है. उन्होंने कहा कि साल 1975 में जब आपातकाल

Read More »

‘जब तक PoK नहीं मिल जाता तब तक…’, वैष्णो देवी मंदिर दर्शन करने पहुंचे जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने दिया बड़ा बयान

श्री राम जन्मभूमि (Shree Ramajanmabhoomi) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Jagadguru Rambhadracharya) ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को लेकर बड़ा बयान

Read More »

Parliament Session 2024: ‘मुझे खुशी है कि स्पीकर ने…’, ओम बिरला ने किया इमरजेंसी का जिक्र तो पीएम नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष को ऐसे दिखाया आईना

Om Birla on Emergency:HN/ ओम बिरला को 18वीं लोकसभा के लिए स्पीकर चुन लिया गया है. स्पीकर की जिम्मेदारी संभालते ही उन्होंने इमरजेंसी का जिक्र किया.

Read More »

Leader of Opposition: लोकसभा में कांग्रेस की बड़ी पहली जीत! 10 साल से खाली पड़े इस ओहदे पर बैठेंगे राहुल गांधी

Leader Of Opposition:HN/ ओम बिरला बुधवार (26 जून) को लगातार दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं. इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने

Read More »