6 मार्च 2024… प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले अंडरवॉटर मेट्रो सेक्शन का उद्घाटन कर दिया है. ये टनल पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में तैयार किया गया है. टनल कोलकाता मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर का हिस्सा है जो कि हुगली नदी के नीचे बनाया गया है.
अंडरवॉटर मेट्रो सेक्शन से जुड़ी जितनी जानकारी सामने आई है उसके अनुसार इसकी लंबाई 16.6 किलोमीटर है और यह मेट्रो हुगली के पश्चिमी तट पर स्थित हावड़ा को पूर्वी तट पर साल्ट लेक शहर से जोड़ता है.
इस अंडरवॉटर मेट्रो की खास बात ये है कि इससे सफर करने वाले लोगों को एक अलग अनुभव तो होगा ही, साथ ही उनका घंटों का समय भी बचेगा.
दरअसल कोलकाता घनी आबादी वाला शहर है, जहां सड़कों पर इतनी ज्यादा भीड़ होती है कि हावड़ा और सियालदह के बीच सड़क से दूरी तय करने में लोगों को तकरीबन एक घंटे से 45 मिनट तक का समय लग जाता है. ऐसे में इस अंडरवॉटर मेट्रो के बनने से आम लोगों को लंबे ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी.
कब हुई थी टनल के बनने की शुरुआत
अंडरवॉटर मेट्रो टनल को बनाने में 13 साल लग गए. इस टनल के निर्माण के लिए साल 2009 में ही अलग-अलग कंपनियों से कांट्रैक्ट किया गया था. फिर एक साल बाद 2010 में इसपर काम शुरू हुआ था.
इसके निर्माण के दौरान इंजीनियर्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी हावड़ा ब्रिज के पास से हुगली नदी में पानी के अंदर 520 मीटर की सुरंग बनाना. इस मेट्रो सुरंग की खासियत ये है कि यह भूकंप के झटके झेल सकता है. यहां तक कि पानी लीक होने पर भी तुरंत पता चल जाएगा.
वॉटर प्रूफिंग सबसे बड़ी चुनौती बनी
रिपोर्ट के अनुसार, टनल के निर्माण के दौरान वॉटर प्रूफिंग सबसे बड़ी चुनौती थी. दरअसल यह मेट्रो टनल नदी से 26 मीटर नीचे बनाया गया है. ऐसे में इंजीनियर के लिए सबसे पहले ये सुनिश्चित करने की जरूरत थी कि सुरंग में एक भी बूंद पानी न जाए.
इस काम को करने के लिए टनल बनाने वाली कंपनी अफकॉन्स ने एक रूसी कंपनी ट्रांस टोनेल्ट्रॉय की मदद ली और उनके साथ मिलकर इस काम को पूरा किया. कंपनी के अधिकारियों की मानें तो इसे ऐसा तैयार किया गया है ताकि टनल में एक बूंद भी पानी लीक होता है तो उसके गैसकेट खुल जाएंगे.
किस चीज से बनी है सुरंग?
सुरंग को पानी के भीतर इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए, इसके कंक्रीट को फ्लाई ऐश और माइक्रो-सिलिका के साथ डिजाइन किया गया है. जो इसे जलरोधी बना देता है.
लगातार 67 दिन तक बस खुदाई का काम
टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट के अनुसार कोलकाता की हुगली नदी के नीचे टनल बनाने के लिए लगातार 67 दिन तक केवल खुदाई का काम चला था. इंजीनियर्स की मानें तो खोदाई का काम साल 2017 में शुरू हुआ था.
प्रोजेक्ट की लागत क्या है?
India.com की रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना की कुल लागत लगभग 8,600 करोड़ रुपये है. कुल लागत का 48.5 प्रतिशत निवेश जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ने किया है.
यात्रियों के लिए कब होगा शुरू
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मेट्रो के एक अधिकारी ने बताया कि टनल का उद्घाटन तो 6 मार्च को कर दिया गया है लेकिन फिलहाल इसे आम लोगों के लिए शुरू करने में कुछ समय लगेगा. अधिकारियों की मानें तो अंडरवॉटर मेट्रो के शुरू होने के बाद यहां से सफर कर रहे लोगों को 5G इंटरनेट की सुविधा भी दी जाएगी.
कितना होगा किराया
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इस रूट पर टिकट की कीमत 5 रुपये से शुरू होगी और स्टेशन की दूरी के आधार पर 50 रुपये तक जा सकती है. पहले दो किलोमीटर के लिए किराया 5 रुपये, फिर यह बढ़कर 10 रुपये, 15 रुपये, 20 रुपये 25 रुपये और इसी तरह 50 रुपये तक बढ़ जाता है.
अंडरवॉटर टनल से किसे होगा फायदा
टनल के बनने से पहले की तस्वीर कुछ ऐसी थी कि बीच में नदी होने के कारण सियालदाह से स्प्लेनेड तक ही मेट्रो आती थी. लेकिन अब चार अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन तैयार हो गए हैं. अभी तक यात्रियों को हावड़ा स्टेशन तक पहुंचने में एक घंटा लगता था अब सिर्फ चंद मिनट में पहुंच जाएंगे.
कोलकाता घनी आबादी के बोझ से दबा वो शहर है जहां सड़कों की भी सांसे फूलने लगती है. हावड़ा और सियालदह के बीच सड़क से दूरी तय करने में एक घंटे से 45 मिनट तक लग जाते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
भारत के अलावा किन देशों में है अंडरवॉटर मेट्रो
कोलकाता के अंडरवॉटर टनल के उद्घाटन के साथ ही भारत भी अब विश्व के उन चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है जहां अंडरवॉटर मेट्रो दौड़ रही है. दुनिया में अब तक कुछ ही देश हैं जहां पानी के नीचे मेट्रो दौड़ती है. उन देशों में पेरिस, न्यूयॉर्क, शंघाई और काहिरा ही ऐसे शहर हैं जहां पर पानी के अंदर मेट्रो दौड़ती है. अब इस लिस्ट में कोलकाता का नाम भी शामिल हो गया है.
कोलकाता में मेट्रो की स्थिति भी जान लीजिए
खास बात ये है कि आज से 40 साल पहले यानी साल 1984 में भारत की पहली मेट्रो की शुरुआत भी कोलकाता से ही हुई थी. हालांकि 1984 में मेट्रो की स्थापना से लेकर 2014 तक बंगाल में सिर्फ 27.99 किमी मेट्रो नेटवर्क बना था. 2014 के बाद, कोलकाता में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार किया जाने लगा और आज राज्य के लगभग सभी क्षेत्रों में लोग मेट्रो से आवाजाही कर सकते हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 से लेकर 2023 तक देश में काफी तेजी से मेट्रो नेटवर्क का विस्तार किया गया है. मेट्रो अधिकारियों के अनुसार, 2022-2023 में 14.23 किमी का सबसे अधिक मेट्रो नेटवर्क विस्तार दर्ज किया गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में एक मेट्रो अधिकारी ने कहा, “यह कोलकाता मेट्रो की शुरुआत के बाद से मौजूदा नेटवर्क में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी थी.”
कोलकाता मेट्रो नेटवर्क पर कब कितना खर्च
साल 1972 से 2014 के बीच कोलकाता में मेट्रो की सभी परियोजनाओं पर 5,981 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. वहीं 2014 से अक्टूबर 2023 तक शहर में चल रही सभी मेट्रो परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 19,043 करोड़ रुपये का खर्च किया जा चुका है. हाईन्यूज़ !