मध्य प्रदेश चुनाव में पत्नियों ने संभाला मौर्चा: संजय के लिए कैंपेन में जुटीं अंजली; शिव के लिए साधना मैदान में

चुनावी बिगुल बजने से पहले ही मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव रोचक होता जा रहा है. पतियों को सदन पहुंचाने के लिए इस बार कई नेता पत्नियों ने भी मैदान संभाल लिया है. इनमें संजय शुक्ला की पत्नी अंजलि शुक्ला, शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह, भूपेंद्र सिंह की पत्नी सरोज भूपेंद्र सिंह और कैलाश विजयवर्गीय की पत्नी आशा विजयवर्गीय का नाम प्रमुख हैं.

नेताओं की ये पत्नियां लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क के सहारे लोगों से मिल रही हैं और अपने पति को जिताने की अपील कर रही हैं. जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश में इस बार महिला वोटरों की संख्या पुरुष वोटरों के लगभग बराबर हैं, इसलिए उम्मीदवार के साथ-साथ उनकी पत्नी भी मैदान में उतर गई हैं.

चुनाव आयोग ने हाल ही में मध्य प्रदेश का वोटर लिस्ट जारी है. इसके मुताबिक राज्य में मतदाताओं की कुल संख्या 5 करोड़ 60 लाख 60 हजार 925 है. इसमें पुरुष मतदाता 2 करोड़ 88 लाख 25 हजार 607, तो महिला मतदाता 2 करोड़ 72 लाख 33 हजार 945 है.

आयोग के मुताबिक 2018 में मध्य प्रदेश के करीब 42 विधानसभा सीटों पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा मतदान किए. कई सीटों पर मतदान का फासला 5 प्रतिशत तक का था. राजधानी भोपाल की 5 सीटों पर महिलाओं ने पुरुष के मुकाबले ज्यादा वोट डाले.

अपने पति के लिए कैंपेन में जुटी ये महिलाएं

1. अंजली शुक्ला– इंदौर विधानसभा सीट नंबर-1 से विधायक और कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी संजय शुक्ला की पत्नी अंजली ने अभी से पति के लिए प्रचार में उतर गई हैं. शुक्ला परिवार ने चुनाव में जाने से पहले इंदौर में जया किशोरी के भागवत कथा का कार्यक्रम रखा है.

कार्यक्रम का न्योता महिलाओं को देने की जिम्मेदारी अंजली ने संभाल ली है. अंजली सुबह से लेकर शाम तक लोगों के घर-घर जाकर कार्यक्रम का न्योता दे रही हैं. इंदौर महापौर के चुनाव में भी अंजली ने शुक्ला के लिए जनसंपर्क अभियान चलाया था.

अंजली शुक्ला फेसबुक पर काफी सक्रिय हैं. फेसबुक पेज पर उनके करीब 2 हजार फॉलोअर्स हैं.

संजय शुक्ला के एफिडेविट के मुताबिक अंजली के पास करीब 28 करोड़ की संपत्ति है. संजय शुक्ला मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे विष्णुप्रसाद शुक्ला के बेटे हैं. 2018 में वे पहली बार इंदौर-1 सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे.

इंदौर-1 सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है. 2018 में शुक्ला को 1 लाख 14 हजार वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सुदर्शन गुप्ता को 1 लाख 6 हजार वोट मिले थे. हालांकि, महापौर चुनाव में शुक्ला भारतीय जनता पार्टी के पुष्यमित्र भार्गव से नहीं जीत पाए.

इंदौर-1 सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने इस बार कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतार दिया है. 2018 में इंदौर-1 सीट पर 69 प्रतिशत पुरुष और 67 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किए थे.

डॉली शर्मा- भोपाल उत्तर से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी आलोक शर्मा के प्रचार के लिए उनकी पत्नी डॉली शर्मा भी मैदान में उतर गई हैं. भोपाल उत्तर सीट कांग्रेस का गढ़ माना जाता है और यहां से आरिफ अकील लगातार 5 बार से विधायक रहे हैं.

भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट को सबसे मुश्किल सीट की श्रेणी में रखा है और इसलिए चुनाव से पहले ही आलोक को उम्मीदवार घोषित कर दिया. आलोक खुद सुबह से शाम क्षेत्र में लोगों से मिल रहे हैं, तो उनकी पत्नी डॉली भी महिलाओं से मिलकर वोट देने की अपील कर रही हैं.

लोगो से जनसंपर्क के अलावा डॉली चुनावी रणनीति के काम में भी हिस्सा लेती हैं. 2018 में भोपाल उत्तर सीट पर 63 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले थे.

आलोक शर्मा भोपाल के महापौर रह चुके हैं. साथ ही 2008 में इसी सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं. उस वक्त आलोक शर्मा को करीब 53 हजार वोट मिले थे. वे कांग्रेस के आरिफ अकील से सिर्फ 5 हजार वोटों से चुनाव हारे थे.

इस बार आरिफ अकील ने इस सीट से अपने मझले बेटे को टिकट देने की पैरवी कांग्रेस हाईकमान से की है, जिसके बाद उनके परिवार में ही आपसी झगड़ा शुरू हो गया है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को इस सीट पर जीत की उम्मीद है.

आशा विजयवर्गीय- इंदौर-1 विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय के लिए उनकी पत्नी आशा भी कैंपेन के मैदान में उतर गई हैं. इंदौर सीट से पति को जिताने के लिए आशा कैलाश विजयवर्गीय इन दिनों महिला मंडल की बैठक लगातार ले रही हैं.

इस बैठक में आशा भारतीय जनता पार्टी महिला नेताओं को लोगों से संपर्क साधने और डोर-टू-डोट कैंपेन के बारे में बताती हैं. इसके अलावा वे खुद क्षेत्र में कार्यकर्ताओं के साथ सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होती हैं. पदाधिकारियों के घर पर जाकर भी कैलाश के लिए वोट मांगती हैं.

आशा छोटे-छोटे उन नुक्कड़ सभाओं में भी पहुंचती हैं, जहां कैलाश विजयवर्गीय खुद नहीं पहुंच पाते हैं. आशा 2018 में भी अपने बेटे आकाश के लिए चुनाव का कैंपेन कर चुकी हैं. हालांकि, इस बार विजयवर्गीय परिवार के लिए इंदौर-1 नंबर सीट थोड़ा कठिन है.

इस सीट से कांग्रेस के संजय शुक्ला अभी विधायक हैं, जो जमीनी स्तर के राजनेता माने जाते हैं. शुक्ला को पिछले चुनाव में 1 लाख 14 हजार वोट मिले थे. कैलाश विजयवर्गीय भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और 2013 में अपना आखिरी चुनाव लड़े थे. उस वक्त वे मऊ से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.

साधना सिंह- शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना भी लगातार विदिशा में सक्रिय हैं. बुधनी में भारतीय जनता पार्टी की ओर से निकाले गए जन आशीर्वाद यात्रा में भी बेटे कार्तिकेय के साथ साधना ही मोर्चा संभाले नजर आईं.  हालांकि, इस बार बुधनी से अब तक शिवराज के नाम का ऐलान नहीं हुआ है.

साधना 2018 में भी बुधनी सीट पर शिवराज के कैंपेन की जिम्मेदारी संभाली थीं. 2018 में शिवराज ने बुधनी में प्रचार नहीं करने का ऐलान किया था. इसके बाद साधना और उनके बेटे कार्तिकेय ने घर-घर जाकर लोगों से वोट मांगे थे.

साधना 2006 के उपचुनाव में भी शिवराज सिंह चौहान के लिए बुधनी में चुनाव प्रचार कर चुकी हैं. साधना अखिल भारतीय किरार कायस्थ महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. बुधनी में किरार समुदाय का दबदबा भी है.

साधना सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं. फेसबुक पर उनके 2 लाख 54 हजार फॉलोअर्स हैं. सोशल मीडिया पर साधना के कई पोस्ट हजारों में लाइक किए जाते हैं.

साधना और शिवराज की शादी मई 1992 में हुई थी. साधना पर घोटाले के भी कई आरोप लगे हैं. हालांकि, कोर्ट में एक भी आरोप साबित नहीं हुए. 2007 में उन पर डंपर घोटाले के एक मामले में आरोप लगाया गया. व्यापम घोटाले में भी साधना का नाम उछला था.

सरोज भूपेंद्र सिंह- लोक कल्याण विभाग के मंत्री भूपेंद्र सिंह की पत्नी सरोज सिंह भी प्रचार के लिए मैदान में कूद गई हैं. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने अब तक भूपेंद्र के टिकट का ऐलान नहीं किया है. भूपेंद्र सागर के खुरई से वर्तमान में विधायक हैं.

उनकी पत्नी सरोज सिंह लगातार क्षेत्र में महिलाओं के साथ जनसंपर्क करती हैं. सरोज कई जगहों पर विकास परियोजना की भी शुरुआत करती हैं. वे सागर जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं.

सभा में सरोज सिंह महिलाओं को लाडली बहना योजनाओं के बारे में समझाती हैं और अगले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को वोट देने की अपील करती हैं. खुरई सीट पर 2018 में कांग्रेस के अनु भैया को भूपेंद्र सिंह ने 18 हजार वोटों से हराया था.

2013 से इस सीट पर लगातार भूपेंद्र सिंह चुनाव जीत रहे हैं. सिंह शिवराज सरकार में गृह जैसा महत्वपूर्ण महकमा भी संभाल चुके हैं.

कहीं बेटे, तो कहीं पति ने संभाला मोर्चा
भोपाल दक्षिण से भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी ध्रुव नारायण सिंह के चुनाव की कमान उनके बेटे ने संभाल ली है. ध्रुव के बड़े बेटे आदित्य लगातार पिता के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं. भोपाल दक्षिण विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. आरिफ मसूद यहां से विधायक हैं.

सीधी से भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी रीति पाठक के लिए उनके पति रजनीश ने कमान संभाल ली है. रजनीश 2019 में भी रीति के लिए जमकर प्रचार अभियान चलाया था. रजनीश की पहचान पार्टी के भीतर एक संगठन नेता की है. हालांकि, उनके बदले उनकी पत्नी को टिकट मिल गया.

10 अक्टूबर तक चुनाव की घोषणा संभव
मध्य प्रदेश में 10 अक्टूबर तक चुनाव की घोषणा संभव है. जानकारों का मानना है कि चुनाव की घोषणा के बाद ही राजनीतिक दलों के प्रचार अभियान में तेजी आएगी. कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल अजय सिंह के मुताबिक पितृपक्ष के बाद ही पार्टी उम्मीदवारों का ऐलान करेगी.

भारतीय जनता पार्टी ने अब तक 79 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. पार्टी ने चुनाव में अब तक 3 केंद्रीय मंत्री, एक राष्ट्रीय महासचिव और 4 सांसद को मैदान में उतारा है. कयास यह भी लग रहा है कि पार्टी 2 और केंद्रीय मंत्री को चुनाव लड़ने के लिए मध्य प्रदेश भेज दे.

इधर, कांग्रेस से दिग्विजय सिंह, अरुण यादव और विवेक तन्खा के चुनाव लड़ने की संभावनाएं ना के बराबर है. पार्टी की ओर से कमलनाथ, कांतिलाल भूरिया, जीतू पटवारी जैसे दिग्गज चुनाव लड़ सकते हैं. मध्य प्रदेश में 2018 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी.

कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत मिली थी. कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी, लेकिन 15 महीने बाद ही पार्टी के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी, जिसके बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई.

भारतीय जनता पार्टी की ओर से शिवराज सिंह चौहान ने फिर से कमान संभाली. ज्योतिरादित्य केंद्र की राजनीति में आ गए. उनके 8 समर्थकों को सरकार में मंत्री बनाया गया. हाईन्यूज़ !

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