नई दिल्ली में गुरुवार (13 नवंबर, 2025) को भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और नेपाल के उद्योग, वाणिज्य एवं आपूर्ति मंत्री अनिल कुमार सिन्हा के बीच एक अहम द्विपक्षीय बैठक हुई. इस बैठक में दोनों देशों ने पारगमन संधि (Transit Treaty) के प्रोटोकॉल में संशोधन करते हुए लेटर ऑफ एक्सचेंज का आदान-प्रदान किया.
रेल मार्ग से व्यापार को बढ़ावा
इस समझौते के बाद जोगबनी (भारत) और विराटनगर (नेपाल) के बीच रेल-आधारित माल ढुलाई शुरू हो सकेगी. अब इस मार्ग से कंटेनर कार्गो के साथ-साथ बल्क कार्गो (जैसे खाद्यान्न, सीमेंट, स्टील आदि) की ढुलाई भी संभव होगी. यह सुविधा प्रमुख ट्रांजिट कॉरिडोर- कोलकाता-जोगबनी, कोलकाता-नौतनवा (सोनौली) और विशाखापट्टनम-नौतनवा (सोनौली) तक विस्तारित की गई है. इससे भारत और नेपाल के बीच व्यापारिक संपर्क मजबूत होगा और नेपाल का तीसरे देशों से व्यापार भी सुगम बनेगा.
कोलकाता और विशाखापट्टनम बंदरगाहों से सीधा कनेक्शन
इस नए रेल कनेक्शन से अब कोलकाता और विशाखापट्टनम बंदरगाहों से सीधे नेपाल के मोरंग जिले स्थित सीमा शुल्क यार्ड कार्गो स्टेशन तक सामान की ढुलाई की जा सकेगी. यह रेल लिंक भारत सरकार की सहायता से बनाया गया है और इसका उद्घाटन 1 जून 2023 को दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से किया था.
सीमा पार संपर्क पर जोर
बैठक में दोनों देशों ने एकीकृत जांच चौकियों (ICPs) और अन्य अवसंरचना परियोजनाओं पर जारी काम की सराहना की. इन पहलों का मकसद सीमा पार व्यापार और संपर्क को आसान बनाना है.
भारत-नेपाल व्यापारिक संबंध होंगे और मजबूत
भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार और निवेश साझेदार है. इन नई व्यवस्थाओं से दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्ते और मजबूत होंगे तथा व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से भारत-नेपाल की व्यापारिक साझेदारी मजबूत होगी और इसका सीधा असर चीन के प्रभाव पर पड़ेगा. जानकारों का कहना है कि नेपाल का झुकाव भारत की ओर बढ़ना चीन के लिए एक कूटनीतिक झटका साबित हो सकता है, क्योंकि यह कदम नेपाल के व्यापार और संपर्क को भारतीय नेटवर्क से और गहराई से जोड़ देगा. हाईन्यूज़ !


















