चीफ जस्टिस बूषण रामकृष्ण गवई ने भगवान विष्णु की मूर्ति को लेकर अपनी एक टिप्पणी पर हुए विवाद को लेकर सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि वह हर धर्म का सम्मान करते हैं. कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सभी लोग इस बात को जानते हैं. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी कहा कि आज कल सबको तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ता है.
16 सितंबर को एक मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने एक टिप्पणी की थी. याचिका में खजुराहो के एक मंदिर में खंडित भगवान विष्णु की मूर्ति को दोबारा स्थापित करने की मांग की गई थी. जावरी मंदिर की यह मूर्ति मुगल आक्रमण के दौरान खंडित हुई थी. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसे भारतीय पुरातत्व सर्वे (ASI) के अधिकार क्षेत्र का मामला बताते हुए दखल से मना किया था. इसी दौरान उन्होंने याचिकाकर्ता से ऐसी बात कही जो भारी विवाद की वजह बनी हुई है.
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता राकेश दलाल से कहा था, ‘आप भगवान से ही प्रार्थना कीजिए. आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के परम भक्त हैं. वही आपकी सहायता करें. हमें क्षमा कीजिए. ASI के कामकाज में हम दखल नहीं देंगे.’ इस टिप्पणी को असंवेदनशील और अपमानजनक बताते हुए लोग तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. लोग चीफ जस्टिस पर हिंदू विरोधी मानसिकता रखने का आरोप लगा रहे हैं.
गुरुवार, 18 सितंबर को लंच ब्रेक के बाद दोपहर लगभग 2.10 पर कोर्ट में वापस आए चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्हें लोगों की प्रतिक्रिया की जानकारी मिली है. उन्होंने कहा, ‘मुझे पता चला है कि उस दिन मेरी कही बात को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत कुछ लिखा जा रहा है. मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं.’
कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘आज कल हर बात पर भारी प्रतिक्रिया देखने को मिलती है. मैं चीफ जस्टिस को 10 साल से जानता हूं. चीफ जस्टिस हर धर्म से जुड़े स्थानों में जाते रहे हैं.’ कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘आज कल सबको ऐसी बातों का सामना करना पड़ता है.’
इस दौरान चीफ जस्टिस ने नेपाल का भी ज़िक्र किया. हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया कि वह क्या कहना चाह रहे थे. गौरतलब है कि पिछले दिनों अपनी नेपाल यात्रा के दौरान चीफ जस्टिस काठमांडू के प्रसिद्ध हिंदू मंदिर पशुपतिनाथ के अलावा लुंबिनी में भगवान बुद्ध की जन्मस्थली पर बने विहार में भी गए थे. हाईन्यूज़ !