National Food Security Act 2013:HN/ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार (10 फरवरी) को राज्यसभा में नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की और जनगणना के मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि इस कानून को 2013 में यूपीए सरकार के दौरान लाया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य ये सुनिश्चित करना था कि देश के हर नागरिक को खाद्यान्न और पोषण मिले. सोनिया गांधी ने इस कानून की अहमियत को बताते हुए कहा कि इसने लाखों लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने में मदद की है खासकर कोरोना महामारी जैसे मुश्किल समय में.
सोनिया गांधी ने एनएफएसए के तहत लागू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का भी जिक्र किया और बताया कि इस योजना के लिए एनएफएसए एक्ट ही आधार उपलब्ध कराता है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 75 प्रतिशत ग्रामीण और 50 प्रतिशत शहरी आबादी को सब्सिडी वाले खाद्यान्न मिलते हैं जिससे लाखों गरीबों को फायदा हुआ है. उनका मानना था कि ये योजना देश की खाद्य सुरक्षा में एक अहम कदम साबित हुई है.
सोनिया ने जनगणना में देरी पर उठाए सवाल
उन्होंने आगे कहा कि NFSA के लाभार्थियों का आंकड़ा 2011 की जनगणना पर आधारित है जबकि अब तक एक दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है. उन्होंने सवाल उठाया कि पिछले एक दशक में जनगणना क्यों नहीं कराई गई जबकि ये हर 10 साल पर होती है. साथ ही ये भी कहा कि ये पहली बार है जब देश में जनगणना में चार साल से ज्यादा की देरी हुई है. सोनिया ने सरकार से जल्द से जल्द जनगणना कराने की मांग की ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र व्यक्ति NFSA का लाभ पाने से वंचित न रहे.
सोनिया गांधी ने सरकार से जल्द जनगणना कराने की अपील की
राजस्थान से कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने आगे ये भी कहा कि बजट आवंटन में भी जनगणना की योजना की कोई झलक नहीं मिल रही है जिससे लगता है कि इस साल भी जनगणना नहीं होगी. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द जनगणना कराने की अपील की और इसे एक मूलभूत अधिकार मानते हुए कहा कि ये फूड सिक्योरिटी का प्रिविलेज नहीं बल्कि एक अधिकार है. उनका कहना था कि जनगणना से ही सही आंकड़े मिलेंगे जिससे सही तरीके से खाद्य सुरक्षा योजनाओं का फायदा सभी तक पहुंच सकेगा. हाईन्यूज़ !