उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर भड़की हिंसा से जबरदस्त तनाव पैदा हो गया है. इस घटना में अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. हालात को देखते हुए प्रशासन ने मस्जिद के आसपास के इलाके को सील कर दिया है. मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. वहीं इस मामले पर समाजवादी पार्टी के मुखिया ने माहौल बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
इसके आगे समाजवादी पार्टी के मुखिया ने अपनी पोस्ट में उत्तर प्रदेश सरकार पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि उप्र शासन-प्रशासन से न कोई उम्मीद थी, न है. उन्होंने कहा कि बिना देर किए इस पूरे मामले का संज्ञान लेकर माहौल बिगाड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
वहीं संभल हिंसा पर जमीयत-उलेमा-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भी उठाए सवाल उठाए हैं. उन्होंने हिंसा को सरकार की भेदभाव पूर्ण नीति का नतीजा बताया है. उन्होंने हिंसा के दौरान पुलिस फायरिंग में तीन मुस्लिम युवकों की मौत पर दुख जाहिर किया है. उन्होंने इस घटना के लिए राज्य सरकार और यूपी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. मदनी का कहना है कि जमीयत-उलेमा-हिंद किसी भी दल की हिंसा का समर्थन नहीं करती, लेकिन पुलिस की यह कार्रवाई न सिर्फ अन्यायपूर्ण बल्कि भेदभाव भी है, जिससे बेकसूर लोगों की मौत हो गई है.
जमीयत-उलेमा-हिंद की तरफ से जारी एक पत्र में मदनी ने कहा कहा कि देश का संविधान गर नागरिक को समानता, सम्मान और सुरक्षा का अधिकार देता है. ऐसे में अगर कोई सरकार किसी समुदाय के जीवन और संपत्ति को कमतर समझती है, तो ये संविधान और कानून का उल्लंघन है. इसके साथ ही मदनी ने चेतावनी दी कि मस्जिदों में मंदिर खोजने की कोशिशें देश की शांति और सौहार्द के लिए खतरनाक है. मौजूदा घटना ने इस बात को साबित किया है.
उन्होंने कहा कि संभल के लोगों ने मस्जिद के सर्वे में पहले दिन सर्वे टीम का सहयोग किया था, लेकिन आज जब टीम जा रही थी तो उनके साथ मौजूद कुछ लोगों ने भड़काऊ नारेबाजी की, जिससे हिंसा हुई. मदनी ने सवाल किया कि आखिर पुलिस ने ऐसे लोगों को मस्जिद में जाने और उकसाने की इजाजत क्यों दी. हाईन्यूज़ !