सपा के साथ सीट शेयरिंग की डील करते-करते अपनी ही सीट को गंवा दिया सलमान खुर्शीद ने, अब क्यों टेंशन में?

लोकसभा चुनाव के लिए सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग फाइनल हो गया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शिरकत करके ट्रेलर दिखा दिया है कि यूपी में दो लड़कों की जोड़ी एक बार फिर से बीजेपी से मुकाबला करने के लिए तैयार है. सपा से गठबंधन में कांग्रेस को 17 सीटें यूपी में मिली हैं, लेकिन सीट शेयरिंग के फॉमूले में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की सीटें सपा के खाते में चली गई. इस फेहरिश्त में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मु्स्लिम चेहरा सलमान खुर्शीद भी हैं, जिन्हें पार्टी ने सपा के साथ सीट शेयरिंग पर सहमति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी. ऐसे में सलमान खुर्शीद अपनी ही सीट नहीं बचा पाए जो सपा के हाथों में चली गई है, जिसके बाद से उन्होंने बागी रुख अख्तियार कर रखा है?

उत्तर प्रदेश की फर्रुखाबाद लोकसभा सीट सलमान खुर्शीद की परंपरागत सीट मानी जाती है. फर्रुखाबाद सीट से दो बार सलमान खर्शीद सांसद रहे हैं और 1991 से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले उनके पिता खुर्शीद आलम खान 1984 में सांसद रह चुके हैं. सीट बंटवारे में यह सीट सपा के खाते में चली गई है और सपा ने डा. नवल किशोर शाक्य को अपना प्रत्याशी भी बना दिया है. फर्रुखाबाद लोकसभा सीट सपा के खाते में जाने से सलमान खुर्शीद को तगड़ा झटका लगा है. बगावती तेवर उन्होंने अपना लिया है और माना जा रहा है कि चुनाव लड़ने के विकल्प तलाश रहे हैं.

सपा के खाते में गई फर्रुखाबाद सीट

सलमान खुर्शीद कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते हैं. इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे के लिए कांग्रेस ने मुकुल वासनिक की अगुवाई में अपने नेताओं की पांच सदस्यीय कमेटी बनाई थी, जिसमें सलमान खुर्शीद भी शामिल थे. वासनिक के घर पर कांग्रेस और सपा नेताओं के बीच सीट बंटवारे को लेकर होने वाली सभी बैठक में खुर्शीद शामिल थे. सीट शेयरिंग पर मुहर लगने से पहले ही अखिलेश यादव ने फर्रुखाबाद सीट पर अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया था. इसके बाद कांग्रेस को 17 सीट मिली तो उसमें भी फर्रुखाबाद सीट सपा के खाते में गई. /सलमान खुर्शीद के लिए ये सियासी तौर पर बड़ा झटका और सवाल उठता है कि आखिर वो अपनी सीट क्यों नहीं बचा सके?.

सलमान ने जाहिर की नाराजगी

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि फर्रुखाबाद से मेरे रिश्तों को कितने इम्तिहान का सामना करना पड़ेगा? सवाल मेरा नहीं पर हमारे सब के मुस्तकबिल का है, आने वाली नस्लों का है. उन्होंने कहा, ‘किस्मत के फैसलों के सामने कभी झुका नहीं, टूट सकता हूं, झुकुंगा नहीं. तुम साथ देने का वादा करो, मैं नगमे सुनाता रहूं.’ वहीं, इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि राम मनोहर लोहिया फर्रुखाबाद से ही अपना पहला चुनाव जीते थे, हमें उम्मीद है कि वह (सलमान खुर्शीद) ट्वीट को डिलीट कर देंगे. अखिलेश की इस प्रतिक्रिया के बाद भी सलमान खुर्शीद ने अपना पोस्ट खुद डिलीट नहीं किया.

खुर्शीद की परंपरागत सीट है फर्रुखाबाद

माना जा रहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव में सलमान खुर्शीद फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से अपने चुनाव लड़ने की संभावना तलाश रहे हैं, जो अब उनकी बातों से ही साफ जाहिर हो रहा है. सलमान खुर्शीद ने अपने पोस्ट में साफ कहा कि किस्मत के फैसलों के सामने झुका नहीं हूं और टूट सकता हूं, लेकिन झुंकूगा नहीं. इतना ही नहीं उन्होंने जिस तरह से लोगों से साथ देने का वादा करने की बात की है, उससे भी उनके संकेत साफ नजर आ रहे हैं. इसकी वजह यह है कि फर्रुखाबाद सीट से सलमान खुर्शीद की तीन पीढ़ियों से रिश्ता है. उनके ताया, पिता और वो खुद चुनाव लड़ते, जीतते रहे हैं. ऐसे में सलमान खुर्शीद किसी भी सूरत में फर्रुखाबाद सीट से अपने कदम पीछे खींचने के लिए तैयार नहीं है.

वरिष्ठ पत्रकार सैयद कासिम कहते हैं कि सलमान खुर्शीद का फर्रुखाबाद सीट से भवनात्मक जुड़ाव है, क्योंकि खुद वो दो बार सांसद रहे हैं. इसके अलावा उनके पिता 1984 में सांसद रहे हैं. फर्रुखाबाद सीट सलमान खुर्शीद की परंपरागत सीट मानी जाती है. फर्रुखाबाद लोकसभा सीट मुस्लिम बहुल न होने के बाद भी खुर्शीद परिवार जीतता रहा है. इसकी वजह उनकी पकड़ मुस्लिम वोटों के साथ अन्य वोटों पर भी है. सलमान खुर्शीद देश के बड़े वकील हैं और दिल्ली रहते हैं. इसके बाद भी वो हर शनिवार और रविवार अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा करते रहे हैं. वो अपने एनजीओ के जरिए काम करते रहे हैं. सपा के खाते में उनकी सीट जाने से झटका लगा है. ऐसे में वो सीट छोड़ना नहीं चाहते हैं, क्योंकि वो इस बात को जानते हैं कि अगर उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा तो उनकी पकड़ कमजोर हो जाएगी. इसीलिए अब खुलकर मैदान में उतर गए हैं.

शाक्य वोट पर अखिलेश की नजर

कासिम कहते हैं कि अखिलेश यादव ने इसलिए भी फर्रुखाबाद सीट अपने हाथों में ली है ताकि उसके बगल की कन्नौज और मैनपुरी सीट के समीकरण को साधा जा सके. फर्रुखाबाद सीट पर शाक्य समुदाय का प्रत्याशी दिया है, क्योंकि सपा को पता है कि यादव और मुस्लिम उन्हें वोट देंगे. ऐसे में शाक्य कैंडिडेट देने का संदेश फर्रुखाबाद के साथ-साथ कन्नौज और मैनपुरी सीट पर भी जाएगा, जहां से मुलायम परिवार चुनाव लड़ रहा है. इसके अलावा एक बड़ी वजह यह भी है कि सलमान खुर्शीद कांग्रेस के उन नेताओं में से रहे हैं, जो सपा के बजाय बसपा के साथ गठबंधन करने की बात कर रहे थे. इसलिए भी सपा ने फर्रुखाबाद सीट अपने कब्जे में ली है, जिससे सलमान खुर्शीद चुनाव न लड़ सके.

सलमान खुर्शीद अपने लिए इस सीट को मांग रहे थे लेकिन यह सीट कांग्रेस नहीं बल्कि सपा के हिस्से में है. वहीं मौजूदा समय की बात की जाए तो फर्रुखाबाद सीट पर बीजेपी का कब्जा है, इस समय मुकेश राजपूत बीजेपी के सांसद हैं. पिछले दो चुनावों में वह इस सीट पर जीते हैं. वहीं साल 2009 और साल 1991 में इस सीट पर सलमान खुर्शीद ने जीत दर्ज की थी. इसके साथ ही सपा के चंद्रभूषण सिंह ने साल 1999 और 2004 में जीत हासिल की थी. गठबंधन में फर्रुखाबाद सीट कांग्रेस के खाते में जाती तो फिर सलमान खुर्शीद चुनावी मैदान में उतरते, लेकिन सपा ने यह सीट अपने हिस्से में लेकर सलमान खुर्शीद के सारे समीकरण बिगड़ गए हैं, जिसके चलते टेंशन में है और उन्हें अपनी सियासत खत्म होती दिख रही है? हाईन्यूज़ !

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