वृंदावन में हर साल लाखों की संख्या में भक्त भगवान कृष्ण के मंदिरों के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के हर मंदिर की अपनी एक लीला है जो भक्तों में आकर्षण केंद्र बनी रहती है. यहां कई ऐसे स्थल और मंदिर हैं, जहां कान्हा की लीलाओं के साक्षात प्रमाण मिलते हैं. उन्हीं स्थानों में से एक स्थान है इमलीतला मंदिर. श्राप इंसानों के अलावा पेड़-पौधों को भी लगता है. इसका ही एक उदाहरण है कान्हा की नगरी वृंदावन में एक श्रापित पेड़. कहते हैं इस पेड़ को राधा रानी ने श्राप दिया था. अब इसके पीछे क्या कहानी और मान्यता है, आइए इस लेख में पढ़ते हैं.
इमलीतला मंदिर श्री यमुनाजी तट पर स्थित एक बहुत ही पवित्र मंदिर है. इमलीतला मंदिर से कई कहानियां और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कहानी चैतन्य महाप्रभु के बारे में सुनने को मिलती है. कहते हैं कि उन्होंने इस प्रसिद्ध इमली के पेड़ के नीचे बैठकर श्री कृष्ण नाम का जाप किया था. इस मंदिर में ढेरों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर के चारों तरफ की दीवारों पर इमलीतला घाट की कहानियों को प्रदर्शित करती हुई कलाकृतियां बनी हुई हैं.
मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि एक बार जब श्री राधा जी रास के बीच में गायब हो गईं, तब श्री कृष्ण इस पवित्र इमली के पेड़ के नीचे बैठकर अलगाव की दुखद भावना में लीन हो गए और इस दौरान उन्होंने श्री राधा के मधुर नाम का जाप किया था. वृन्दावन के इमलीतला मंदिर की यही दिव्यता इसे अत्यंत आकर्षक बनाती है. ऐसा भी माना जाता है कि चैतन्य महाप्रभु सहित श्री राधा-गोपीनाथ जी और निताई गौर आज भी इमलीतला मंदिर में निवास करते हैं.
इमली ने बिगाड़ा राधा रानी का श्रृंगार
इमली ताला मंदिर वृंदावन के जुगल घाट के पास स्थित है. कहते हैं यह स्थान 5500 साल से भी ज्यादा पुराना है. इश मंदिर के अंदर एक इमली का पेड़ मौजूद है जिससे कई मान्यताएं जुड़ी हैं. ऐसा कहा जाता है कि द्वापर युग में यह पेड़ इमली से भरा रहता था. एक बार राधारानी यमुना स्नान कर श्रृंगार करने के बाद इस पेड़ के नीचे से जा रही थीं. उसी समय इस पेड़ से एक पकी इमली गिरी जिसपर राधारानी का पैर पड़ा और वो फिसल कर गिर पड़ीं जिससे उनका श्रृंगार खराब हो गया.
इसलिए पेड़ को दिया श्राप
इस पेड़ का पकी इमली से राधारानी के चरणों की आलता खुद ही धुल गई और उनका श्रृंगार बिगड़ गया. श्रृंगार बिगड़ जाने से वे क्रोधित हुई. इसके बाद राधारानी ने इस इमली के वृक्ष को श्राप दे दिया. इस श्राप के कारण तब से अभी तक ब्रज भूमि के इस पेड़ पर लगी इमली नहीं पकती हैं.
कार्तिक पूर्णिमा में भगवान श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने वृंदावन धाम में पधार इस वृक्ष के नीचे बैठकर संकीर्तन किया. तब इस वृक्ष की एक शाखा किटम गड़ के राजा राठौर के महल के ऊपर फैल गई थी, जिसे राजा ने कटवा दिया था. तब उस डाल से लगातार तीन दिनों तक खून निकलता रहा. बाद में इसी की बगल में एक और प्रतीकात्मक इमली का पेड़ लगा दिया गया था. हाईन्यूज़ !