यूं तो भगवान श्रीराम के अनेक भक्त हुए. जिनमें हनुमान जी सबसे ज्यादा बलशाली और शक्तिशाली थे. हनुमान जी और बाकी वीर भक्तजनों के बारे में तो सभी जानते हैं, पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान श्रीराम की सबसे नन्ही भक्त गिलहरी के बारे में. जिसने रामसेतु बनाने में अपना अमूल्य योगदान दिया.
गिलहरी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण द्वारा माता सीता के हरण के बाद माता सीता को वापस लाने के लिए भगवान श्रीराम को सेना सहित लंका जाना था, लेकिन लंका चारों तरफ से समुद्र से घिरा हुआ था. समुद्र को पार करके ही लंका जाया जा सकता था. तब राम सेना ने समुद्र पर सेतु बनाना शुरू किया.
सेतु बनाने के लिए राम सेना चट्टानों के बड़े-बड़े पत्थर तोड़कर लाती और उन पर राम नाम लिखती, फिर उन पत्थरों को पानी में फेंका जाता. राम नाम लिखा होने के कारण वे पत्थर पानी में डूबने के बजाए तैरने लगते थे.
सेतु बनाने में अपनी पूरी सेना का जोश, उत्साह, प्रेम और समर्पण देखकर प्रभु श्रीराम प्रसन्न थे. जब सेतु बनाने में पूरी सेना लगी हुई थी तभी सेना के एक वानर की नजर एक नन्ही गिलहरी पर गई जो अपने मुंह में छोटे छोटे कंकड़ पत्थर और रेत लेती और उनको बनते हुए सेतु पर डाल देती.
गिलहरी को बार बार ऐसा करते देख उस वानर ने उसका मजाक बनाते हुए कहा, “हे नन्ही गिलहरी, यहां सेतु निर्माण का कार्य चल रहा है तुम यहां क्या कर रही हो? तुम इतनी छोटी हो कि कहीं इन बड़ी बड़ी चट्टानों और पत्थरों के नीचे न आ जाओ. जाओ यहां से दूर चली जाओ”.
जब भगवान राम ने समझाया नन्ही गिलहरी का योगदान
वानर की बात सुनकर बाकी वानर सेना भी उस नन्ही गिलहरी पर हंसने लगी. इससे गिलहरी बहुत दुखी हुई और रोते हुए प्रभु श्रीराम के पास पहुंची. गिलहरी ने सारी बात भगवान श्रीराम को बताई. तब भगवान श्रीराम सेना के पास गए और उनसे कहा , “आप सभी ध्यान से देखिए जिन बड़े बड़े पत्थरों को अपने समुद्र में डाला है उनके बीच छोटे छोटे सुराख हैं जो सेतु को कमजोर कर सकते हैं. नन्हीं गिलहरी के छोटे छोटे पत्थर और रेत बड़े पत्थरों के बीच के सुराख को भर रहे हैं जिससे वे बड़े पत्थर आपस में जुड़े रहेंगे, इधर उधर तैरकर अलग नहीं होंगे. सेतु बनाने में नन्हीं गिलहरी का भी वही अमूल्य योगदान है जो आप सभी का है”. हाईन्यूज़ !